CIBIL Score New Rule – लोन लेने वालों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में सिबिल स्कोर (CIBIL Score) से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। यह बदलाव खास तौर पर उन लोगों को प्रभावित करेगा जो लोन लेने की सोच रहे हैं या पहले से किसी लोन की प्रक्रिया में हैं। अब सिबिल स्कोर की गणना और उसके आधार पर लोन अप्रूवल की प्रक्रिया में कुछ नए मानक जोड़े गए हैं। इससे बैंक और वित्तीय संस्थान उधारकर्ताओं की क्रेडिट योग्यता को और ज्यादा पारदर्शिता से देख सकेंगे। यह बदलाव उपभोक्ताओं के लिए लाभदायक साबित हो सकता है।

आरबीआई का नया फैसला और असर
आरबीआई ने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि क्रेडिट प्रणाली को और मजबूत बनाया जा सके और उधारकर्ताओं के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार सुनिश्चित हो। पहले जहां केवल कुछ मानक ही सिबिल स्कोर निर्धारित करते थे, अब इसमें समय पर भुगतान, लोन का प्रकार और लोन की अवधि जैसे अतिरिक्त कारकों को भी जोड़ा गया है। इसका सीधा असर यह होगा कि जिन लोगों ने समय पर अपने भुगतान किए हैं, उनका स्कोर अब और बेहतर होगा। वहीं, बार-बार डिफॉल्ट करने वालों के लिए यह बदलाव कड़ा सबूत साबित होगा।
लोन लेने वालों के लिए फायदे
लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए यह बदलाव बेहद उपयोगी है। अब बैंकों को उधारकर्ताओं की सही वित्तीय स्थिति समझने में आसानी होगी। अगर कोई व्यक्ति समय पर अपने क्रेडिट कार्ड का बिल या ईएमआई चुकाता है, तो उसका फायदा सीधे उसके सिबिल स्कोर में दिखाई देगा। इससे ग्राहकों को लोन जल्दी अप्रूव हो सकता है और ब्याज दरों पर भी राहत मिल सकती है। वहीं, यह बदलाव उन लोगों को भी प्रेरित करेगा कि वे समय पर अपनी किस्तों का भुगतान करें ताकि उनका स्कोर खराब न हो।
खराब सिबिल स्कोर वालों के लिए चेतावनी
जो लोग समय पर अपने कर्ज या ईएमआई का भुगतान नहीं करते, उनके लिए यह नियम सख्त साबित हो सकता है। खराब सिबिल स्कोर वाले व्यक्तियों को अब लोन लेने में और मुश्किलें आ सकती हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान ऐसे ग्राहकों को अधिक जोखिम वाला मान सकते हैं और उनके लिए ब्याज दरें भी ज्यादा रखी जा सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि लोग अपने क्रेडिट व्यवहार में सुधार लाएं और जिम्मेदारी से वित्तीय लेन-देन करें।
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भविष्य में संभावित बदलाव
विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल शुरुआत है और आने वाले समय में सिबिल स्कोर से जुड़े और भी नियम बदले जा सकते हैं। डिजिटल लोनिंग और फिनटेक कंपनियों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए आरबीआई का यह कदम काफी अहम है। इसका मकसद एक ऐसा ढांचा बनाना है जिसमें सभी उधारकर्ताओं का मूल्यांकन समान और पारदर्शी तरीके से हो सके। इससे न केवल बैंकिंग सिस्टम को मजबूती मिलेगी बल्कि उपभोक्ताओं को भी एक बेहतर वित्तीय माहौल मिलेगा।
