8th Pay Commission Protest – 8वें वेतन आयोग के तहत पेंशनरों और कर्मचारियों की मांगों को लेकर 20 अगस्त 2025 को देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने जा रहा है। ऑल इंडिया कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स (AICGEW) ने इस विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है, जिसमें केंद्र और राज्य सरकार के लाखों कर्मचारी व पेंशनभोगी शामिल होंगे। उनकी मुख्य मांगों में 8वें वेतन आयोग का गठन, न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी, पेंशन सुधार और महंगाई भत्ते में तत्काल वृद्धि शामिल हैं। इसके अलावा, संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने और पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की भी जोरदार मांग उठाई जा रही है। इस प्रदर्शन के जरिए कॉन्फेडरेशन सरकार पर दबाव बनाना चाहता है ताकि कर्मचारियों के आर्थिक हित सुरक्षित हो सकें और उनके वेतन व पेंशन में सुधार किया जा सके। राजधानी दिल्ली समेत सभी राज्यों के प्रमुख शहरों में रैलियां और धरने आयोजित किए जाएंगे, जिससे यह आंदोलन देशव्यापी स्वरूप लेगा।

8वें वेतन आयोग गठन की मुख्य मांग
8वें वेतन आयोग को लेकर कर्मचारियों और पेंशनरों की सबसे बड़ी मांग है कि सरकार तुरंत इसका गठन करे और न्यूनतम वेतन संरचना में सुधार करे। मौजूदा महंगाई और जीवन-यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए मौजूदा वेतन कर्मचारियों की जरूरतें पूरी करने में सक्षम नहीं है। कॉन्फेडरेशन का कहना है कि 7वें वेतन आयोग के बाद अब नई वेतन प्रणाली की आवश्यकता है, जो न केवल वेतन बल्कि भत्तों और पेंशन में भी समानुपातिक वृद्धि सुनिश्चित करे। इसके अलावा, वेतन आयोग को पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए और कर्मचारियों के संगठनों से संवाद स्थापित करना चाहिए। प्रदर्शन का एक उद्देश्य यह भी है कि सरकार न्यूनतम वेतन ₹26,000 मासिक से कम न रखे और DA (महंगाई भत्ता) की दरें वास्तविक मुद्रास्फीति के अनुरूप तय करे।
पेंशन और OPS बहाली की मांग
कॉन्फेडरेशन ने अपनी दूसरी बड़ी मांग के रूप में पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली को रखा है। कर्मचारियों का कहना है कि नई पेंशन योजना (NPS) से उन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पर्याप्त आर्थिक सुरक्षा नहीं मिल रही है। OPS में मिलने वाली गारंटीड पेंशन से उन्हें बुढ़ापे में स्थिर आय का आश्वासन मिलता था। इसके अलावा, पेंशन की गणना और महंगाई राहत में पारदर्शिता लाने की मांग भी उठाई जा रही है। पेंशनरों का कहना है कि जीवन-यापन की बढ़ती लागत को देखते हुए पेंशन में महंगाई राहत (DR) समय-समय पर बढ़ाई जानी चाहिए। साथ ही, पेंशन भुगतान की प्रक्रिया को तेज और सुगम बनाने के लिए तकनीकी सुधार भी जरूरी हैं, जिससे लाभार्थियों को समय पर भुगतान मिल सके।
संविदा कर्मचारियों का स्थायीकरण
प्रदर्शन में संविदा कर्मचारियों के स्थायीकरण का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया जाएगा। कॉन्फेडरेशन का मानना है कि लंबे समय से सेवाएं दे रहे संविदा कर्मचारियों को स्थायी दर्जा देकर उन्हें समान वेतन और सुविधाएं दी जानी चाहिए। कई विभागों में वर्षों से कार्यरत संविदा कर्मियों को न तो पेंशन का लाभ मिलता है और न ही अन्य सरकारी सुविधाएं। यह कर्मचारियों के साथ अन्याय है, जिसे इस आंदोलन के माध्यम से खत्म करने की मांग की जा रही है। संविदा कर्मचारियों का स्थायीकरण न केवल उनके जीवन की स्थिरता बढ़ाएगा, बल्कि सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार लाएगा। इस मुद्दे पर कई राज्यों में पहले भी विरोध हो चुका है, लेकिन इस बार इसे राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जाएगा।
महंगाई भत्ता और भत्तों में वृद्धि
महंगाई भत्ता (DA) में तत्काल वृद्धि और अन्य भत्तों के पुनरीक्षण की मांग भी इस प्रदर्शन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बढ़ती महंगाई और दैनिक खर्चों में लगातार हो रही वृद्धि के कारण कर्मचारियों का बजट बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। कॉन्फेडरेशन का कहना है कि DA को हर 6 महीने में बढ़ाने की बजाय इसे वास्तविक मुद्रास्फीति दर के अनुसार समय-समय पर समायोजित किया जाना चाहिए। साथ ही, HRA (हाउस रेंट अलाउंस) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस जैसे अन्य भत्तों में भी संशोधन की आवश्यकता है, ताकि कर्मचारियों को उनकी जरूरतों के अनुरूप आर्थिक सहयोग मिल सके। अगर इन मांगों को जल्द पूरा नहीं किया गया, तो आगे और बड़े स्तर पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दी गई है।