Post Office SCSS

पोस्ट ऑफिस की इस नई स्कीम में पति-पत्नी को मिलेंगे हर 3 महीने में ₹51,250 – Post Office SCS Scheme

Post Office SCS Scheme – पोस्ट ऑफिस की इस नई स्कीम “Post Office SCS (SCSS)” में पति-पत्नी मिलकर एक स्थिर और सुरक्षित तिमाही आय बना सकते हैं, जिसकी चर्चा इन दिनों ₹51,250 हर 3 महीने के उदाहरण के साथ हो रही है। यह स्कीम वरिष्ठ नागरिकों के लिए है और पोस्ट ऑफिस/अधिकृत बैंकों के माध्यम से खोली जाती है, जिसमें सरकार का बैकिंग होने के कारण पूंजी सुरक्षा का भरोसा मिलता है। खाते पर ब्याज तिमाही आधार पर क्रेडिट होता है, इसलिए मासिक बजट बनाने वालों के लिए यह विकल्प खास है। मान लें कि दंपती मिलकर इतनी राशि जमा करें कि वार्षिक ब्याज से तिमाही भुगतान ₹51,250 बने—तो उन्हें नियमित कैश-फ्लो बिना बाज़ार के उतार-चढ़ाव की चिंता के मिलता रहेगा। ध्यान रहे, दरें समय-समय पर अधिसूचित होती हैं, इसलिए ₹51,250 मात्र एक कैलकुलेशन उदाहरण है; वास्तविक तिमाही राशि आपकी जमा रकम और चालू ब्याज दर पर निर्भर करेगी। बड़े लक्ष्य—जैसे मेडिकल, यात्रा, या पोते-पोती की शिक्षा—के लिए दंपती अलग-अलग खाते खोलकर संयुक्त रूप से तिमाही आय को प्लान कर सकते हैं और आकस्मिक ज़रूरतों के लिए लिक्विड फंड भी साथ रख सकते हैं।

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Post Office SCS (SCSS): योग्यता, अवधि और मुख्य फीचर्स

SCS/SCSS मूलतः वरिष्ठ नागरिकों के लिए डिज़ाइन की गई आय-केंद्रित डिपॉज़िट स्कीम है। आमतौर पर 60 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले व्यक्ति, और कुछ विशेष शर्तों में VRS/सुपरएन्नुएशन के बाद 55–60 वर्ष आयु समूह, खाता खोल सकते हैं। खाता सिंगल या जॉइंट (पति-पत्नी) रूप में खुलता है; जॉइंट मोड में प्राथमिक खाता-धारक वही वरिष्ठ नागरिक होता है जिसकी आयु पात्रता पूरी करती है। स्कीम की मूल अवधि 5 वर्ष की होती है, जिसे नियम अनुसार आगे बढ़ाने का विकल्प मिलता है, जिससे लंबी अवधि की आय योजना बन पाती है। ब्याज तिमाही में क्रेडिट होता है—यही वजह है कि रिटायर्ड दंपती इसे नियमित खर्चों के लिए पसंद करते हैं। जमा की न्यूनतम/अधिकतम सीमा सरकार द्वारा अधिसूचित होती है; दंपती चाहें तो अलग-अलग खाते खोलकर अपने कुल निवेश को स्ट्रक्चर कर सकते हैं। सुरक्षित पूंजी, निश्चित तिमाही आय और सरल संचालन—ये तीन स्तंभ इसे रिटायरमेंट इनकम के लिए खास बनाते हैं।

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₹51,250 तिमाही पाने की सटीक गणना

अब समझें कि ₹51,250 हर 3 महीने का लक्ष्य कैसे हासिल हो सकता है। मान लीजिए (केवल उदाहरण हेतु) चालू वार्षिक ब्याज दर 8.2% है और दंपती संयुक्त रूप से इतनी रकम जमा करते हैं कि वार्षिक ब्याज ₹2,05,000 निकले—तो तिमाही भुगतान (वार्षिक ब्याज ÷ 4) ₹51,250 बनेगा। इस लक्ष्य से उलटा हिसाब लगाएँ तो कुल मूलधन ≈ ₹2,05,000 ÷ 0.082 = ₹25,00,000 (लगभग 25 लाख) आता है। दंपती इसे दो खातों में बाँट सकते हैं—जैसे ₹12.5-₹12.5 लाख—या अपनी सुविधा अनुसार अनुपात बदल सकते हैं, बशर्ते नियमों के भीतर रहें। अगर दर अलग हो, तो सरल फॉर्मूला अपनाएँ: “आवश्यक मूलधन = (लक्षित तिमाही आय × 4) ÷ वार्षिक दर।” उदाहरण: दर 8.0% हो, तो आवश्यक मूलधन = (₹51,250 × 4) ÷ 0.08 = ₹25,62,500 (लगभग)। इसलिए खाता खोलते समय घोषित दर देखकर ही अपनी जमा राशि तय करें, ताकि मनचाही तिमाही आय प्राप्त हो सके।

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खाता खोलने की प्रक्रिया, दस्तावेज़ और टैक्स ट्रीटमेंट

खाता खोलने के लिए नज़दीकी पोस्ट ऑफिस/अधिकृत बैंक ब्रांच में आवेदन फ़ॉर्म भरें, केवाईसी दस्तावेज़ (आधार, पैन, फोटो, एड्रेस प्रूफ़) और उम्र/रिटायरमेंट से जुड़े प्रमाण साथ रखें। भुगतान नकद/चेक/ट्रांसफ़र से किया जा सकता है; पहली तिमाही का ब्याज स्कीम कैलेंडर के अनुसार क्रेडिट होगा। टैक्स के संदर्भ में, जमा राशि पर धारा 80C के तहत (सीमा के भीतर) कर छूट उपलब्ध हो सकती है; जबकि ब्याज आय आपकी कर-स्लैब के अनुसार टैक्सेबल रहती है और नियम अनुसार TDS भी लागू हो सकता है। वरिष्ठ नागरिक आवश्यक शर्तें पूरी करने पर फ़ॉर्म 15H आदि जमा कर सकते हैं—ब्रांच से प्रक्रिया स्पष्ट कर लें। नामांकन (Nomination) ज़रूर जोड़ें ताकि अनहोनी की स्थिति में दावा सरल रहे। नेटबैंकिंग/पोस्ट ऑफिस पोर्टल के जरिए पासबुक/ब्याज क्रेडिट पर नज़र रखें, और हर वित्त वर्ष के अंत में ब्याज का कर-विवरण अपने टैक्स रिकॉर्ड में अपडेट करें।

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शर्तें, फायदे-नुकसान और समझदारी भरी रणनीति

यह स्कीम पूंजी सुरक्षा और निश्चित तिमाही आय का संतुलन देती है, इसलिए बाज़ार जोखिम से बचना चाहने वाले रिटायरीज़/दंपतियों के लिए उपयुक्त है। हाँ, ब्याज दरें सरकार समय-समय पर अधिसूचित करती है; नई जमा पर दर बदल सकती है, इसलिए भविष्य की जमाओं के लिए रेट-रिस्क रहता है। प्रीमैच्योर क्लोज़र/आंशिक निकासी पर नियम अनुसार शुल्क/कटौती हो सकती है—खाता खोलने से पहले यह शर्तें जान लें। रणनीति यह रखें: (1) आपातकालीन फंड अलग तरल साधन में रखें; (2) SCS/SCSS से तय तिमाही आय निकालें; (3) अतिरिक्त राशि को विविधीकृत साधनों में लगाकर महँगाई का असर संतुलित करें। दंपती अपने-अपने नाम से खाते खोलकर कुल तिमाही कैश-फ्लो बढ़ा सकते हैं, पर सभी लिमिट्स/नियमों का पालन करें। हर रिन्यूअल/एक्सटेंशन पर दर की तुलना करें और लक्ष्य—जैसे ₹51,250 तिमाही—के अनुसार मूलधन एडजस्ट करें, ताकि रिटायरमेंट में नकदी प्रवाह मजबूत बना रहे।

क्या इस स्कीम में भाई-बहन को भी लाभ मिलेगा?

नहीं, केवल पति-पत्नी को मिलेगा।

क्या इस स्कीम में दोस्तों को भी लाभ मिलेगा?

नहीं, इस स्कीम में केवल पति-पत्नी को ही लाभ मिलेगा।

क्या इस स्कीम का लाभ सिर्फ जोड़े ही उठा सकते हैं?

नहीं, इस स्कीम का लाभ सभी व्यक्ति उठा सकते हैं।

क्या इस स्कीम में बच्चों को भी लाभ मिलेगा?

हां, इस स्कीम में बच्चों को भी लाभ मिलेगा।

क्या इस स्कीम में अकेले व्यक्तियों को भी लाभ मिलेगा?

हां, इस स्कीम में अकेले व्यक्तियों को भी लाभ मिलेगा।

क्या इस स्कीम में दादा-दादी को भी लाभ मिलेगा?

हां, इस स्कीम में दादा-दादी को भी लाभ मिलेगा।

क्या इस स्कीम में आधार कार्ड की जरूरत होगी?

हां, इस स्कीम के लिए आधार कार्ड आवश्यक है।

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