Bijli Bill Mafi Scheme 2025 – का मकसद घरेलू उपभोक्ताओं पर बिजली बिल का बोझ कम करना और पुराने बकाये को एकमुश्त निपटाना है। प्रस्तावित ढांचे में पात्र परिवारों को तय यूनिट तक “शून्य बिल” (Zero Bill) की सुविधा, और पिछले बकाये पर सरचार्ज/ब्याज माफी के साथ वन-टाइम सेटलमेंट का विकल्प मिलता है। कुछ राज्यों में यह लाभ BPL/Antyodaya, सामाजिक रूप से वंचित वर्गों, या कम कनेक्टेड लोड (जैसे 1–2 kW) वाले घरों तक सीमित हो सकता है, जबकि कहीं-कहीं स्मार्ट/प्री-पेड मीटर और समय पर बिल भुगतान जैसी शर्तें भी जुड़ती हैं। योजना का फोकस है—बिजली चोरी और डिस्कनेक्शन घटाना, उपभोग को कुशल बनाना, और गरीब परिवारों की मासिक कैश-फ्लो में राहत देना। “फ्री बिजली” का अर्थ आमतौर पर एक सीमा तक रियायत होता है; सीमा से ऊपर की खपत पर सामान्य दरें लागू रहती हैं। पुराने बिल माफ़ी में भी पूरा बकाया नहीं, बल्कि दंड/ब्याज में राहत और मूल रकम पर छूट/किस्त व्यवस्था दी जाती है। उपभोक्ताओं को अपने राज्य/डिस्कॉम के नोटिफिकेशन, पात्रता शर्तें और आवेदन की समयसीमा ध्यान से पढ़नी चाहिए।

पात्रता, कवरेज और किसे मिलेगा फायदा
योजना का लाभ प्रायः केवल घरेलू (Domestic) कनेक्शनों तक सीमित रहता है; वाणिज्यिक/औद्योगिक उपभोक्ता इसमें शामिल नहीं होते। पात्रता तय करने के लिए सामान्य पैरामीटर हैं—परिवार की वार्षिक आय, BPL/Antyodaya कार्ड, कनेक्टेड लोड (उदा. 1–2 kW), मासिक खपत (उदा. 100–200 यूनिट तक), ग्रामीण/शहरी स्थिति, और स्मार्ट मीटर की उपलब्धता। कई जगहों पर अनुसूचित जाति/जनजाति, अकेली महिला-प्रधान परिवार, वरिष्ठ नागरिक, विकलांगजन, या किसान-आवास को प्राथमिकता मिल सकती है। “फ्री यूनिट” की सीमा राज्य-दर-राज्य बदलती है; उदाहरणतः 100/150/200 यूनिट तक शून्य बिल और उससे ऊपर सामान्य टैरिफ। पुराने बिल माफी (Arrears Relief) में सरचार्ज/लेट फीस हटाने, मूल राशि पर आंशिक छूट, और आसान किस्तें शामिल हो सकती हैं—शर्त यह कि उपभोक्ता आगे समय पर भुगतान और मीटर रीडिंग में सहयोग करे। ध्यान दें, अगर मीटर टैंपरिंग/गैर-कानूनी कनेक्शन पाया गया तो लाभ रद्द हो सकता है।
आवेदन प्रक्रिया, जरूरी दस्तावेज़ और समयसीमा
आवेदन के लिए दो रास्ते प्रचलित हैं—(1) ऑनलाइन: राज्य ऊर्जा विभाग/डिस्कॉम पोर्टल या मोबाइल ऐप पर रजिस्ट्रेशन, (2) ऑफलाइन: बिजली कार्यालय/सहज केंद्र/राजस्व शिविर। आवेदन में उपभोक्ता संख्या/CA No., नाम, पता, मोबाइल, ई-मेल, खपत विवरण, और यदि मांगा जाए तो आय/जाति/वर्ग प्रमाण पत्र देने होते हैं। पहचान हेतु आधार/मतदाता पहचान पत्र, पते के लिए राशन कार्ड/बिजली बिल की कॉपी, और बैंक लाभ हेतु पासबुक/खाता विवरण मांगा जा सकता है। पुराने बकाये राहत हेतु पिछली बिल-कॉपी, डिमांड नोटिस, और किसी पूर्व विवाद/आपत्ति की प्रति संलग्न रखना उपयोगी है। वेरिफिकेशन के बाद डिस्कॉम लाभ को बिलिंग सिस्टम में टैग करता है—अगले बिल चक्र से “जीरो बिल” या रियायत परिलक्षित होती है। समयसीमा राज्य-वार अलग हो सकती है; इसलिए नोटिफिकेशन की अंतिम तिथि, दस्तावेज़ों का फॉर्मेट, और कैंप-तिथियाँ ध्यान से देखें।

लाभ, बचत का गणित और एक उदाहरण
मान लीजिए किसी राज्य में 200 यूनिट तक “जीरो बिल” है और औसत घरेलू टैरिफ ₹7/यूनिट है। तब 200 × ₹7 = ₹1400 की मासिक बचत संभव है। अगर उपभोक्ता 230 यूनिट खर्च करता है, तो पहले 200 यूनिट पर शून्य और शेष 30 यूनिट पर सामान्य दर से बिल बनेगा—यानी आंशिक भुगतान। पुराने बकाये राहत में, मान लें ₹12,000 के एरियर पर ₹3,000 सरचार्ज/ब्याज माफ़, मूल पर 25% छूट और शेष राशि 6–12 किस्तों में; इससे डिस्कनेक्शन का खतरा घटेगा और कनेक्शन सक्रिय बना रहेगा। स्मार्ट/प्री-पेड मीटर होने से वास्तविक खपत-आधारित बिलिंग, लोड-मैनेजमेंट और लीक/चोरी पर नियंत्रण बेहतर होता है। नियमित भुगतान का रिकॉर्ड सुधारने पर उपभोक्ता भविष्य में सब्सिडी/ऊर्जा-कुशल उपकरणों पर प्रोत्साहन योजनाओं का भी लाभ उठा सकता है। संक्षेप में, कम-आय परिवारों की मासिक नकद-प्रवाह में ठोस राहत आती है।

महत्वपूर्ण नियम, सीमाएँ और सामान्य सावधानियाँ
“फ्री बिजली” पूर्णतः असीमित नहीं होती—सीमा से ऊपर खपत पर सामान्य/स्लैब दरें लागू होंगी। कई राज्यों में स्मार्ट मीटर, KYC, मोबाइल-लिंकिंग और समय पर भुगतान योजना की अनिवार्य शर्तें हैं; उल्लंघन पर लाभ बंद हो सकता है। वाणिज्यिक उपयोग, सब-लेटिंग या गैर-कानूनी वायरिंग पाए जाने पर दंड/जुर्माना संभव है। एक ही परिवार/पते पर बहु-कनेक्शन के दुरुपयोग की जाँच होती है; डुप्लिकेट लाभ रोका जा सकता है। पुराने बिल विवाद (गलत रीडिंग/मीटर दोष) हों तो पहले शिकायत दर्ज करें, टेस्ट-रिपोर्ट लें, फिर माफी/किस्त पर आगे बढ़ें। सब्सिडी का असर भविष्य के टैरिफ-रिवीजन पर पड़ सकता है—सूचनाएँ पढ़ते रहें। याद रखें, योजना राज्य-वार भिन्न है; आधिकारिक नोटिफिकेशन, पात्रता सूची और अंतिम तिथि ही अंतिम मानी जाएगी। आवेदन की रसीद, संदेश और बिल-कॉपी सुरक्षित रखें, ताकि किसी भी समय सत्यापन में परेशानी न हो।