Cibil Score Update – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के हालिया दिशानिर्देशों के बाद लोन स्वीकृति प्रक्रिया में “सिर्फ CIBIL स्कोर” पर निर्भरता कम करने की चर्चा तेज़ है। अब बैंकों और NBFCs को उधारकर्ता की संपूर्ण क्रेडिट प्रोफाइल—जैसे आय की स्थिरता, मौजूदा देनदारियाँ, बैंक स्टेटमेंट, रोजगार इतिहास, और वैकल्पिक डेटा—को साथ में देखने पर जोर दिया जा रहा है। इसका मतलब यह नहीं कि कम CIBIL स्कोर वालों को बिना शर्त लोन मिल जाएगा, बल्कि यह कि योग्य आवेदकों को स्कोर के साथ-साथ उनकी अदायगी क्षमता के दम पर भी मौका मिल सकेगा। कई संस्थान रिस्क-बेस्ड प्राइसिंग, को-एप्लिकेंट/गारंटर, सिक्योर्ड-ऑप्शन (जैसे गोल्ड/FD/व्हीकल) और छोटी टिकट साइज के साथ चरणबद्ध क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का मॉडल अपनाते हैं। इससे नए-to-credit यूज़र्स, असंगठित आय वर्ग या छोटे शहरों के उधारकर्ताओं को औपचारिक वित्त तक पहुंच बन सकती है। ध्यान रहे, अंतिम निर्णय हर बैंक अपनी बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी के अनुसार लेती है; इसलिए आवेदन से पहले आधिकारिक शर्तों और दस्तावेज़ सूची की जांच ज़रूर करें।

नया क्या है: “होलिस्टिक” क्रेडिट असेसमेंट और रिस्क-बेस्ड प्राइसिंग
नए परिप्रेक्ष्य में CIBIL स्कोर एक महत्वपूर्ण संकेतक बना रहता है, पर अकेला निर्णायक पैमाना नहीं। बैंक अब आवेदक की नेट-डिस्पोज़ेबल इनकम, FOIR (Fixed Obligation to Income Ratio), नौकरी/व्यवसाय की स्थिरता, कैश-इनफ्लो पैटर्न, और बाउंस/ओवरड्राफ्ट इतिहास तक का विश्लेषण करते हैं। जिनका स्कोर कम है, उन्हें भी यदि स्थिर आय, कम FOIR, और साफ़ बैंकिंग ट्रैक-रिकॉर्ड दिखता है तो रिस्क-बेस्ड प्राइसिंग के तहत लोन मिल सकता है—मतलब ब्याज दर और अन्य शुल्क जोखिम के अनुपात में तय होंगे। सिक्योर्ड लोन (जैसे गोल्ड/मॉर्गेज/कार) में, पर्याप्त कोलेटरल होने पर स्कोर की कमी कुछ हद तक संतुलित की जा सकती है। साथ ही, क्रेडिट लाइन को छोटे-छोटे चरणों में बढ़ाने का तरीका अपनाकर बैंक अपनी डिफॉल्ट रिस्क को प्रबंधित करते हैं। यह दृष्टिकोण उधारकर्ता और ऋणदाता—दोनों के लिए अधिक व्यावहारिक और सुरक्षित साबित होता है।
किन शर्तों पर कम CIBIL स्कोर में भी मिल सकता है लोन
कम स्कोर के बावजूद लोन की संभावनाएँ बढ़ाने के लिए बैंक कुछ व्यावहारिक शर्तें रखते हैं। पहला, स्थिर आय का प्रमाण—नियमित सैलरी क्रेडिट, GST/ITR रिकॉर्ड, या बैंक स्टेटमेंट में लगातार इनफ्लो। दूसरा, FOIR 40–55% के भीतर रखना, ताकि EMI वहनीय लगे। तीसरा, को-एप्लिकेंट/गारंटर जोड़ना—परिवार के किसी सदस्य की अच्छी क्रेडिट प्रोफाइल से जोखिम कम होता है। चौथा, सिक्योर्ड ऑप्शन—FD के खिलाफ ओवरड्राफ्ट, गोल्ड लोन, या व्हीकल/हाउसिंग जैसी संपत्ति-समर्थित ऋण; इनमें LTV (Loan-to-Value) नियमों का पालन होता है। पाँचवां, छोटी टिकट और कम अवधि—शुरुआत में छोटी EMI और फिर रीपेमेंट ट्रैक रिकॉर्ड बनने पर टॉप-अप/एन्हांसमेंट संभव। ध्यान दें, हर बैंक की अप्रोच अलग हो सकती है; प्रोसेसिंग फीस, ब्याज, प्रीपेमेंट और बीमा शर्तें पढ़ना ज़रूरी है ताकि कुल लागत का सही अंदाज़ हो।
आवेदन कैसे तैयार करें: डॉक्युमेंट्स, प्रोफाइलिंग और व्यवहार
कम CIBIL स्कोर वाले आवेदक को दस्तावेज़ और प्रोफाइलिंग पर विशेष ध्यान देना चाहिए। नवीनतम KYC, सैलरी स्लिप/ITR, छह–बारह माह का बैंक स्टेटमेंट, मौजूदा लोन की EMI ट्रैकिंग, और किसी भी बाउंस/चेक-रिटर्न का स्पष्ट स्पष्टीकरण तैयार रखें। अपने खर्चों और देनदारियों की ईमानदार तस्वीर पेश करें—बैंक FOIR और कैश-फ्लो को गहराई से देखते हैं। अगर संभव हो, सिक्योर्ड रूट चुनें—FD लिंकेज या गोल्ड/व्हीकल कोलेटरल से केस मजबूत होता है। आवेदन से पहले अपनी रिपोर्ट में गलतियों की जांच करें; कई बार सीमित-हिस्ट्री, क्लोज़्ड-लोन का अपडेट न होना या डुप्लीकेट एंट्री स्कोर दबाती है—इनका सुधार करना फायदेमंद रहता है। साथ ही, एक ही समय में बहुत से क्रेडिट इंक्वायरी से बचें; हार्ड-इंक्वायरी बढ़ने से स्कोर पर नकारात्मक असर आता है और बैंक इसे “क्रेडिट-हंगर” के संकेत के रूप में देख सकते हैं।

ज़िम्मेदार उधारी: स्कोर सुधार और रीपेमेंट अनुशासन
कम स्कोर में लोन मिलना संभव है, लेकिन ज़िम्मेदार उधारी की आदत उतनी ही ज़रूरी है। EMI को ऑटो-डेबिट/ई-नाच से समय पर चुकाएँ; देर से भुगतान या बाउंस आपके भविष्य के क्रेडिट को महँगा कर देता है। क्रेडिट-कार्ड का उपयोग 30–40% लिमिट तक रखें, फुल-पेमेंट की आदत डालें, और केवल आवश्यक क्रेडिट ही लें। यदि आपकी आय बदलती रहती है (जैसे फ्रीलांस/स्व-रोज़गार), तो आपातकालीन फंड बनाएँ ताकि EMI प्रभावित न हो। छह–बारह महीनों का स्वच्छ रीपेमेंट इतिहास स्कोर को धीरे-धीरे ऊपर खींचता है और आगे बेहतर दरों पर लोन की राह खोलता है। अंत में, किसी भी “गारंटीड लोन विद बैड क्रेडिट” जैसे दावों से सावधान रहें; वैध संस्थान बोर्ड-अप्रूव्ड पॉलिसी, KYC/AML और उचित जाँच के बाद ही ऋण प्रदान करते हैं। आधिकारिक शर्तें पढ़ना और कुल लागत (APR) समझना हमेशा आपके हित में है।